महाराजाधिराज त्रिलोकचन्द्र अर्कवंशी-
महाराजा त्रिलोकचन्द्र अर्कवंशी- यह एक महत्वकांक्षी शासक थे। इनका शासन उत्तर प्रदेश के बहराइच में था जिस समय यह बहराइच पर शासन किया करते थे उस समय तक यह नगरी का बड़ा हिन्दू धार्मिक महत्व हुआ करता था । महाराजा तिलोक चन्द्र (त्रिलोक चन्द्र) ने बहराइच को अपनी राजधानी बनाई तथा उसके बाद एक विशाल सेना लेकर इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) के शासक विक्रमपाल को पराजित किया तथा राज्य पर अपना शासन स्थापित कर दिया । इन्द्रपस्थ (दिल्ली) को जीतने के बाद महाराजा तिलोक चन्द्र अर्कवंशी ने अपने राज्य का विस्तार किया कई अन्य राज्यों एवं नगरों को अपने अधीन कर लिया । उन्होने दिल्ली तक के सम्पूर्ण क्षेत्र और पहाड़ी क्षेत्र तक के अधिकतर भू-भाग एवं अवध के हिस्से को अपने शासन के अन्तर्गत अधीन कर लिया। इन्होने ही बालार्क में अपने कुल देवता को समर्पित बालार्क मन्दिर का निर्माण करवाया था,जिसे तुर्की आक्रमणकारियों ने तोड़ दिया। इन्होने ने ही बालार्क की उपाधि भी धारण की थी। महाराजा तिलोक चन्द्र अर्कवंशी की 9 पीढ़ियों ने इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) पर अपना एकक्षत्र शासन स्थापित किया। इनकी 9 पीढियों का वर्णन इस प्रकार है-
• महाराजा तिलोक चन्द्र अर्कवंशी ( शासन प्रारम्भ सन् 918 ई0 से )
• महाराजा विक्रम चन्द्र अर्कवंशी
• महाराजा अमीण चन्द्र अर्कवंशी
• महाराजा रामचन्द्र अर्कवंशी
• महाराजा कल्याण चन्द्र अर्कवंशी
• महाराजा भीम चन्द्र अर्कवंशी
• महाराजा लोक चन्द्र अर्कवंशी
• महाराजा गोविन्द चन्द्र अर्कवंशी ( इनका शासन 1092 ई0 तक रहा)
• महारानी भीमादेवी ( लगभग कुछ 6 वर्षों तक शासन किया)
महाराजा गोविन्द चन्द्र अर्कवंशी अपनी विवाह के कुछ समय पश्चात युद्धभूमि में वीरगति को प्राप्त हो गये जिस कारण से इनकी कोई संतान नही थी अपने पति की मृत्यु के पश्चात महारानी भीमादेवी ने कुछ वर्षो तक शासन किया परन्तु पति की मृत्यु के कारण इनका मन राजकाज के कार्यों में नही लगा शोक से इनका स्वास्थय बिगड़ता जा रहा था इस कारण से इन्होने अपना विशाल साम्राज्य अपने अध्यात्मिक गुरू हरगोविन्द दास को दान में देकर मृत्यु का वरण किया और अपनी मृत्यु से पहले यह कहा कि इस विशाल साम्राज्य को किसी योग्य शासक को सौपने की बात कही थी। वह योग्य शासक थे अनंगपाल तोमर जिनके पूर्वज अरावली की पहाडियो पर स्थित थे, चूंकि महाराजा तिलोक चन्द्र अर्कवंशी और महाराजा अनंगपाल तोमर के पूर्वजों में घनिष्ठ मित्रता थी इसलिये इन्हे ही अर्कवंश के इस विशाल साम्राज्य का पालन पोषण करने का अधिकार प्राप्त हुआ तथा इस साम्राज्य के पालन पोषण के लिये इन्हे “अर्कपाल” या “सूरजपाल’ के नाम से सम्बोधित किया जाने लगा।
1163 के आसपास अजमेर के चौहान शासक ने तोमर राजा को पराजित कर दिल्ली पर अपना शासन स्थापित किया जिसमें इसी चौहान कुल मे आगे चल कर महाराजा पृथ्वीराज चौहान का जन्म हुआ। महाराजा तिलोक चन्द्र अर्कवंशी द्वारा निर्मित बालार्क मन्दिर में प्रत्येक वर्ष के जून माह में एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता था यह मेला भगवान सूर्यदेव की आराधन करने के लिये समर्पित किया जाता था।